भाग 7: भूलना… या भुला दिया जाना?आरव अब सिर्फ़ अपने सवालों से नहीं जूझ रहा था, बल्कि अपनी यादों ...
भाग 6: अस्पताल की खिड़की से बाहर(जब एक बंद खिड़की… सच का दरवाज़ा बनती है) आरव के कमरे में ...
दिल्ली यूनिवर्सिटी के आर्ट्स फैकल्टी में वो दिसंबर की ठंडी सुबह थी। हवा में हल्की धुंध थी, और कैंपस ...
भाग 5: जब वक़्त थम सा गया थाथैरेपी रूम में सब कुछ जैसे थम गया था। दीवार की घड़ी ...
भाग 4: डॉक्टर का सवाल और आरव की चुप्पीथैरेपी रूम वैसा ही था — वही हल्की सी ठंडक, वही ...
दिल्ली की गर्मी अपने चरम पर थी। चारों तरफ़ तपती सड़कों और धुएँ से भरी हवा ने लोगों की ...
भाग 2: आईने के पीछे की सनाकमरे की दीवारें जैसे हर दिन सिकुड़ती जा रही थीं — या शायद ...
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से कुछ किलोमीटर भीतर जंगलों से घिरा एक उजड़ा हुआ गाँव था — पिपरा ...
भाग 2: आईने के पीछे की सनाकमरे की दीवारें जैसे हर दिन सिकुड़ती जा रही थीं — या शायद ...
भाग 1: नींद से पहले की रात कमरे में सिर्फ़ एक बल्ब जल रहा था — पीली, थकी हुई ...