यह कहानी एक व्यक्ति के प्रभु के प्रति भावनाओं और प्रश्नों का संग्रह है, जिसमें वह वर्तमान युग की समस्याओं पर चिंता व्यक्त करता है। वह कहता है कि लोग अब खुदा को भूल चुके हैं और धर्म के ठेकेदारों ने उसकी जगह ले ली है। मानवता में अज्ञानता बढ़ गई है और नारी को केवल हवस का साधन बना दिया गया है। वह प्रभु से पूछता है कि जब नारी की अस्मत लूटी जाती है तो वह कहाँ होते हैं, क्या वह सोते हैं या नशे में हैं। इसके अलावा, वह चिंतित है कि बच्चों को भी अब हवस का शिकार बनाया जा रहा है। वह प्रभु से यह सवाल करता है कि क्या नारी केवल मांस का लोथड़ा है या उसके जीवन का कोई महत्वपूर्ण उद्देश्य है। व्यक्ति प्रभु से यह भी मांग करता है कि इस कलयुग को समाप्त कर दें क्योंकि वर्तमान में पापियों की संख्या बहुत बढ़ गई है। वह नारी के जन्म के उद्देश्य पर भी सवाल उठाता है और कहता है कि अगर नारी का जन्म केवल अपमान के लिए हुआ है, तो बेटियों को धरती पर भेजना बंद कर दिया जाए। अंत में, वह रिश्तों में विश्वास की कमी की बात करता है और समाज में फैली गंदगी का उल्लेख करता है। वह प्रभु से यह अपेक्षा करता है कि वह इस स्थिति को बदलने का प्रयास करें।
सभी धर्म के ईश्वर को पत्र
डॉ. ऋषि अग्रवाल
द्वारा
हिंदी पत्र
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विवरण
परम् आदरणीय प्रभु,आप तो जानते ही है अब इस युग में आपका सर्वस्व धीरे-धीरे नष्ट होता जा रहा है और हो भी क्यों नहीं, जब इंसान स्वयं को खुदा से बेहतर समझने लगा हो। आपकी जगह तो वैसे भी अलग-अलग धर्म के ठेकेदारों ने ले ली है तो अब आपकी किसी को जरूरत महसूस होती ही नहीं। अब वो धर्म के ठेकेदार ही खुदा बन गये हैं अधिकांश के लिए। इस कलयुग में अब कोई आपको कुछ समझता ही नहीं और ना आपका डर है, ना ही आपके रुष्ट हो जाने का किसी को भय रहा। इस घोर कलयुग में
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