कहानी "नियति" में डॉ. हरीश जी के घर में एक उत्सव का माहौल है, जिसमें उनके बेटे प्रदीप के जन्म और हरीश जी की पदोन्नति का जश्न मनाया जा रहा है। हरीश जी एक मिलनसार व्यक्ति हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। बेटे का नाम प्रदीप रखा गया है, जिसका मतलब है कि उसके आने से घर में खुशी का उजाला फैला है। प्रदीप की बड़ी बहन प्रेमा स्कूल जाने लगी है, जबकि प्रदीप थोड़ा जिद्दी हो गया है। जब प्रदीप भी स्कूल जाता है तो उसे लाड़-प्यार मिलता है, लेकिन धीरे-धीरे उसका पढ़ाई में ध्यान भटकने लगता है। उसकी मां मीना, जो स्वयं डॉक्टर हैं, उसे पढ़ाई के महत्व को समझाने की कोशिश करती हैं। मीना चिंतित हैं क्योंकि प्रदीप स्कूल से छुट्टी करने के बहाने बनाने लगा है और पढ़ाई के प्रति उदासीन हो गया है। कहानी इस बात पर जोर देती है कि शिक्षा का महत्व और माता-पिता का बच्चों के प्रति ध्यान कितना आवश्यक है।
नियति - National story competition-jun2018
Amrita shukla
द्वारा
हिंदी लघुकथा
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विवरण
नियति बेटे प्रदीप की कहानी है जो अपने डॉक्टर माता पिता और चार साल बड़ी बहन प्रेमा के साथ रहता था।सबको दोहरी खुशी मिली थी और उसे भाग्यशाली माना जा रहा था क्योंकि उसका जन्म चार साल बाद हुआ था और जन्म के बाद पापा को प्रमोशन मिला था।थोड़ा बड़े होने पर उसका पढाई में कम मन लगता था ।वो ज्यादातर टीवी देखता और उसमें भी आपराधिक सीरियल में रुचि थी।प्रेमा उसे यह सब देखने मना करती और शिकायत की बात करती तो वो कॉपी किताब उठाकर अपने दोस्त जय के घर जाकर दोनों टीवी देखने लगते।सबसे समझाने से उसपर कोई असर न देख मम्मी ने नौकरी छोडने का फैसला कर लिया।पापा ने गुस्से से टीवी कनेक्शन कटवाने की धमकी देदी।प्रेमा की पढाई पूरी हो गई थी और कुछ दिन बाद शादी हो गई। प्रतीक ने किसी तरह कॉलेज की पढाई पूरी कर पापा से बिजनेस के लिये पैसे मांगकर डुबा दिए।अब कहीं से पैसा उधार ले कर शेयर बाजार में लगाया ।लेकिन वहां पर भी घाटा हो गया ।उसने फिर से उधार चुकाने पापा से मांगना शुरू किया।पापा ने इस बार इतना पैसा देने से मना कर दिया।तब प्रदीप इसी बात पर बहस के समय एक दिन उन पर पिस्टल चला दी ,मां के विरोध करने पर उन्हें भी मार दिया।पुलिस के सामने आनाकानी के बाद जुर्म कबूला।उसे जेल भेज दिया गया।
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