सुबह छह बजे का अलार्म बजने पर एक व्यक्ति की नींद टूटती है। वह अपने दिन की शुरुआत करते हुए बाथरूम जाता है, जहाँ वह अपने स्मार्टफोन का उपयोग करके समय बिताता है। इस दौरान वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहता है, अपने दोस्तों के पोस्ट को लाइक करता है और कमेंट करता है। एक दिन उसे एक पोस्ट मिलती है, जिसमें कहा जाता है कि इसे इग्नोर करने पर अनहोनी हो सकती है। वह इस पोस्ट को नजरअंदाज कर देता है, क्योंकि वह धार्मिक है लेकिन अंधविश्वासी नहीं। स्मार्टफोन ने उसके टॉयलेट में बिताए गए समय को उत्पादक बना दिया है।
लाईक, कॉमेंट और शेयर - National Story Competition-Jan
Rajesh Kumar Srivastav द्वारा हिंदी लघुकथा
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विवरण
यह कहानी अन्धविश्वास से सम्बंधित है कुछ लोग धर्म के प्रति इतने ज्यादे विश्वासी हो जाते है कि उन्हें इसके आगे-पीछे कुछ नहीं दीखता धर्म के प्रति अत्यधिक आसक्ति लोगों को कमजोर बना देती है ऐसी ही कमजोरी का कुछ लोग फ़ायदा उठाकर ठगी करते है और धर्म बदनाम होता है लेकिन हम भारतवासी इतने धर्मभीरु है कि चाहकर भी इससे उबर नहीं पाते लेकिन दृढ़संकल्प से दुबिधा कि बेड़ियाँ कट जाती है यदि हम संकल्प कर ले कि धर्म को तो मानेंगें लेकिन धर्म के नाम पर हो रहे पाखंड, आडम्बर को अपने अस-पास भी नहीं भटकने देंगें तो सही में हम अपना और धर्म दोनों का कल्याण कर पायेंगें
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