Rajesh Kumar Srivastav - Stories, Read and Download free PDF

रामू काका

by Rajesh Kumar Shrivastav
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"अरे! बबुआ। तुम कईसे-कईसे यहाँ पहुँच गए।" रामू काका अचानक मुझे दरवाज़े पर खड़ा पाकर हैरान थे। दरवाज़ा खोलकर ...

व्यवसाय के गुर - National Story Competition -Jan

by Rajesh Kumar Shrivastav
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व्यवसाय का उद्देश्य केवल धन कमाना हिन् नहीं होता प्रत्येक जिम्मेवार नागरिक की तरह व्यवसायियों का भी ...

लाईक, कॉमेंट और शेयर - National Story Competition-Jan

by Rajesh Kumar Shrivastav
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यह कहानी अन्धविश्वास से सम्बंधित है कुछ लोग धर्म के प्रति इतने ज्यादे विश्वासी हो जाते ...

त्याग

by Rajesh Kumar Shrivastav
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हमारे समाज में माँ के तयाग की चर्चा बहुत होती है और होनी भी चाहिए त्याग में ...

ज़ेहाद...

by Rajesh Kumar Shrivastav
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जेहाद एक वतनपरस्त माँ की कहानी है जो अपने वतन के लिए अपने बेटे को, जो बाहरी बहकावे में ...