लघु उपन्यास यशस्विनी: अध्याय 11: अपने भीतर की यात्रा रोहित का का मन दुखी हुआ कि उसकी ...
इसके बाद यशस्विनी ने साधकों से भी इस योग का अनुसरण करने के लिए कहा और प्रणाम आसन के ...
यशस्विनी को लेकर दोनों के मन में अत्यंत कोमल भावनाएं थीं।एक गहरा वात्सल्य भाव था और इसी के चलते ...
" यार गोपी, अभी कौन पटाखे चलाता है। अभी तो शाम ही हुई है। जब रात होगी ना, तो ...
पिछले कई दिनों से अपने निज कक्ष में ध्यान के समय यशस्विनी को विचित्र तरह की अनुभूतियां होती हैं।जब ...
साधकों के मन में योग को लेकर अनेक जिज्ञासाएँ थीं। प्रारंभिक अभ्यास में ही यशस्विनी ने साधकों को प्राणायाम ...
योग साधना के ढीले ढाले वस्त्र पहनकर यशस्विनी साधना के हाल में पहुंची। यह एक बड़ा खुला स्थान था ...
पिछले दिनों योग के एक सत्र की तैयारी के संबंध में एक फाइल देते समय जब रोहन का हाथ ...
(5)यशस्विनी पढ़ने - लिखने में तेज थी। अनाथालय में रहने के दौरान वह अनाथालय की व्यवस्था के कार्य में ...
अध्याय 2 स्मृति (3) यशस्विनी आज शाम को ऑफिस से जब घर पहुंची तो ...