Yash Singh - Stories, Read and Download free PDF

बैसाखी

by Yash Singh
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तैयारी कर लो भारत वासियों अब बैसाखी से चलने की क्योंकि भारत को अब बैसाखी की जरूरत पढ़ने वाली ...

बुद्ध कौन

by Yash Singh
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दुर्भाग्य है मेरे देश का जो बुद्ध को ना जान सका। हमने राम को जाना,हमने कृष्ण को जाना हमने ...

कलंक

by Yash Singh
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रात काफी गहरी थी ,आसमान में काले बादल छाए थे। दूध सी सफेद चाँदनी में नहाया हुआ चाँद काले ...

राजनीति

by Yash Singh
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कितना अच्छा होता अगर सब इंसान एक जैसे होते। सभी का धर्म एक होता ,सभी की जात एक होती। ...

मेरी पहली क्रश

by Yash Singh
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आज हमारी फ़ेयरवेल पार्टी है। मैं बहुत एक्साइटेड हूँ और खुश भी। आज हम खूब मजा करेंगे। आज टीचर ...

ध्रुव तारा

by Yash Singh
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मैं अगर आपसे पूछूं की प्रेम की क्या परिभाषा है?तो आपके उत्तर अलग अलग होंगे कई लोग नयी नयी ...

जिन्दगी की राहें

by Yash Singh
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कहानी की शुरुआत एक छोटे से शहर में होती है, जहाँ एक लड़की, मेहर, अपनी ज़िन्दगी के हर दिन ...