Vishram Goswami - Stories, Read and Download free PDF

अंडा करी - एक इश्क बेजुबां

by vishram goswami
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बात उन दिनों की है जब मैं गांव के पास के कस्बे खेड़ली से सीनियर सेकेंडरी (इंटरमीडिएट) परीक्षा पास ...

POEM

by vishram goswami
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कुछ पल कभी-कभी कुछ पल मन को, बहुत दूर ले जाते हैं परिचित सी मधुर आवाजों से, मीठा ...

कुलटा

by vishram goswami
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गर्मियों की छुट्टियों में जब मैं अक्सर मेरे घर पर होता था रात्रि भोजन के पश्चात करीब 8:00 बजे ...

पापा कहां थे आप

by vishram goswami
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पापा कहां थे आप पतझड़ का मौसम था। पेड़ों के पीले पड़े ...

लाड़ो की विदा

by vishram goswami
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लाड़ो की विदा आज पंडित जी के घर में बड़े ...

आत्महत्या

by vishram goswami
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आत्महत्या उन दिनों मैं एक शहर के विद्यालय में ...

तेरे बिना

by vishram goswami
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तेरे बिना दूसरी मंजिल पर रास्ते की ओर बने अपने कक्ष में बिस्तर पर पड़ी दिव्या, अपने आप को, ...

कजरी

by vishram goswami
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कजरी दीपावली के बाद दिसंबर के प्रथम सप्ताह में ठीक ठंड पड़ने ...

भाग्यरेखा

by vishram goswami
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भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने ...

तीन बीघा जमीन

by vishram goswami
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तीन बीघा जमीन सायं ढलने लगी थी, खेतीहर किसान अपने खेतों से लौटने लगे थे, चरवाहे भेड़ - बकरियों, ...