मेरे पिता मेरे पुण्य। सुबह सुबह ये डाकिया भला न जाने किस का खत हमारे घर पे दे गया। ...
हरीश के जाने के दुःख में कमला कभी कभी मायूस हो जाती थी। कभी कभी लगता की जैसे वो ...
सन्देशा अरे सुनती हो कितना समय हो गया है उठ भी जाओ अब धूप सर पे चढने को है ...