Vijay Singh Tyagi - Stories, Read and Download free PDF

छलावा

by Vijay Singh Tyagi
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छलावा छलावा और भूत का नाम तो समाज में पुराने समय ...

दादी की स्वर्ग यात्रा

by Vijay Singh Tyagi
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दादी की स्वर्ग यात्रा अक्सर दादी हमें अपनी जवानी की पारिवारिक स्थिति के बारे में बताती ...

जिसकी लाठी उसकी भैंस - 2

by Vijay Singh Tyagi
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लल्लू ने जहान से कहा - ठीक है भैय्या, आज ही देते हैं।जहान ने पैसा लेकर जेब में रख ...

जिसकी लाठी उसकी भैंस - 1

by Vijay Singh Tyagi
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जिसकी लाठी, उसकी भैंसकहावत तो यह सदा से ही चली आ रही है और यह निरर्थक भी नहीं है ...

कुन्हिया की वंश बेलि

by Vijay Singh Tyagi
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कुर्सियां की वंश बेलि मनुष्य का स्वभाव जन्म जन्मांतरों के कर्मों के अनुसार बनता है। कुछ गुण-दोष वंशानुगत भी ...

उत्तम खेती मध्यम बान निषिद्ध चाकरी भीख निदान

by Vijay Singh Tyagi
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उत्तम खेती मध्यम बान निषिद्ध चाकरी भीख निदान एक जमाना था , जब विज्ञान की कोई चमक-दमक नहीं थी ...

लत का गुलाम

by Vijay Singh Tyagi
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लत का गुलाम अगहन का महीना था, सर्दी पड़नी शुरू हो गई थी। फसल पानी मांग रही ...

गीदड़ और धुनकी की लोक-कथा

by Vijay Singh Tyagi
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गीदड़ और धुनकी की लोक-कथा एक जंगल में एक बड़ा ही चालाक और दबंग गीदड़ रहता था। जंगल के ...

किस्सा बेईमानी का

by Vijay Singh Tyagi
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किस्सा बेईमानी का हुआ कुछ यूं था कि एक जमाने में औरतें हाथ के चरखे से सूत कातती थीं। ...