शायद मेरी जिंदगी अब रुक सी गई है, इसमें अब वह खामोशी भी मर चुकी है, जो भले ही ...
12 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाईं मद्रास, 9:00 बजे, रात का समयप्रिय डायरी, क्या मेरे कान सुन्न हो गए है? या मेरा ...
अध्याय 7 मौत का फरिश्तामेलिस्सा की जुबानीआज पूरा दो दिन बीत चुका है, मै अभी भी उस साइको ...
12 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाईं मद्रास, 9:00 बजे, रात का समयप्रिय डायरी, क्या मेरे कान सुन्न हो गए है? या मेरा ...
8 जनवरी 1946,पॉलंपल्लाई , मधुराई9:45 , रात्रि का समय,प्रिय डायरी ,ठंड का कोहरा और भी घना हो चुका था, ...
अध्याय छहग्रीन कॉन्क्लेव लड़की की जुबानीमेरे अन्दर डर का एक अजीब सा माहौल था, एक कोतूहल था, और मेरे ...
मौसम की आवारगी में खोई हू और आज भी मै डायरी में तुम्हारे आने की उम्मीद में लिख रही ...
अध्याय तीनबग्गे की दौड़पापलॉस की जुबानीमैं कब कब्र में ही सो गया और मेरी आंख लग गई पता ही ...
अध्याय चार मुर्दों का टीला (पापलोज की ज़ुबानी) सुन सान रात के तलहटी में मै अपने महंगे वाइन के ...
, यह एक पेचीदा लेन थी, जिसके नुकीले पत्तों वाली हेजेज इंग्लिश मौली से बने हुए थे, जिसके चेरी ...