Rohitashwa Sharma - Stories, Read and Download free PDF

नकटी - भाग-7 (अंतिम)

by Rohitashwa Sharma
  • 5.1k

सुबह हुई तो हरसी और संजय अपने खेतों की ओर गये। वहाँ केदार पहले से मौजूद था। उसे पहले ...

नकटी - भाग-6

by Rohitashwa Sharma
  • 5k

जोगी कानदास टाँग सहलाते हुए वर्तमान में आया और बोला "केदार, विक्रम नवल तो ये मान बैठे थे कि ...

नकटी - भाग-5

by Rohitashwa Sharma
  • 7.6k

शाम को संजय कंचन के साथ घूम रहा था। “कैसा रहा तुम्हारा दिन?” “तुम क्या सोचती हो?” “ये डिफाल्टर ...

नकटी - भाग-4

by Rohitashwa Sharma
  • 6.5k

सुबह सुबह ग्यारह बजे का समय था। चरण फाईनेंस के ब्रांच मैनेजर गुप्ता जी ऑफिस की फाइलें निपटाने ...

नकटी - भाग-3

by Rohitashwa Sharma
  • 6.3k

जीप हरसी को लेकर शहर महेश के घर पहुँची। महेश और उसकी माँ वहाँ पहले से तैयार थे। हरसी ...

नकटी - भाग-2

by Rohitashwa Sharma
  • 5.9k

हरसी की हँसती खेलती जिंदगी में एक भूचाल आ गया। बसंत की हत्या का दुःख तो था ही अब ...

नकटी - भाग 1

by Rohitashwa Sharma
  • 7.3k

बसंत और हरसी अपने जीवन में बहुत खुश थे लेकिन कुछ अपनों को ही उनकी ख़ुशी बर्दाश्त न थी ...

Annamma

by Rohitashwa Sharma
  • 3.1k

Annamma Today was the last day of the year, and there were some leaves left over. Workaholic Manoj took ...