Renu Gupta - Stories, Read and Download free PDF

स्वयंसिद्धा

by Renu Gupta
  • 6.2k

स्वयंसिद्धा सुखिया का पोर पोर आज बुरी तरह से दुख रहा था। रोम रोम में असहनीय ...

विश्वासघात

by Renu Gupta
  • 11.3k

आकाश के सुरुचिपूर्ण ढंग से बने हुए मकान सुकून में उनके पहले शिशु के नामकरण संस्कार के उपलक्ष में ...

सुकून

by Renu Gupta
  • 12k

सुकून “पापा..... पापा..... अरे मुग्द्धा, पापा को कहीं देखा है क्या? अपने कमरे में नहीं हैं। ...

पश्चाताप

by Renu Gupta
  • 15.4k

पश्चाताप रात के बारह बज रहे थे, लेकिन राधारमण जी की आंखों से नींद मानो कोसों दूर ...

मुक्ति

by Renu Gupta
  • 3.5k

मौलश्री आज बेहद गमगीन थी। सांझ का सुरमई अंधेरा धीरे धीरे गहराने लगा था। जैसे जैसे रात्रि की कालिमा ...

जीवनसंध्या

by Renu Gupta
  • 3.7k

'पापा, डाइनिंग रूम में आजाओ, आपका नाश्ता लग गया है. सबके साथ नाश्ता करलो, नहीं तो बाद में कहोगे, ...

मुट्ठी भर आसमां

by Renu Gupta
  • 4.1k

केतकी बेहद खिन्नता का अनुभव कर रही थी. सामने के घर से आती शहनाई की मधुर स्वरलहरी भी आज ...

नियति

by Renu Gupta
  • 7.3k

पलाश......... पलाश........कहाँ जा रहे हो?.........अपनी केया को बीच राह में छोड़ कर..........वापिस आजाओ.........मत जाओ मुझसे दूर......पलाश........और एक ह्रदय विदारक ...

दरका आइना

by Renu Gupta
  • 3.7k

जेठ माह की तपती आग उगलती लंबी रात थी। हवा में बेहद तपिश थी। दुर्गा की टीन-टप्पर की बनी ...

शह और मात

by Renu Gupta
  • 15.2k

यह कहानी राजस्थान साहित्य अकादमी की पत्रिका मधुमती के अप्रेल 2018 के अंक में प्रकाशित हो चुकी है। ...