Dr.Ranjana Jaiswal - Stories, Read and Download free PDF

अंतिम इच्छा

by Ranjana Jaiswal
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सुबह से यह चौथा फोन था। फोन उठाने का बिल्कुल मन नहीं था ।...पर माँ... माँ समझने को तैयार ...

वो भूली दास्तां...

by Ranjana Jaiswal
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प्रेम.... ढाई अक्षर का छोटा सा शब्द पर... अपने आप में न जाने कितने सपने, कितने अरमानों को समेटे ...

बाबुल मोरा नैहर छुटियो जाए...

by Ranjana Jaiswal
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बेटे के बोर्ड के पेपर चल रहे थे...महीनों से घर से बाहर भी नहीं निकली थी ।सोचा था..इस बार ...

लॉक डाउन हल्के-फुल्के पल (हास्य व्यंग्य)

by Ranjana Jaiswal
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भाईयों और बहनों....घबराइए मत हम " वो बड़े वाले नेता जी" थोड़ी है ,जिनके इस एक शब्द से इन ...

नफ़रत की दुनिया को छोड़कर....खुश रहना मेरे यार

by Ranjana Jaiswal
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जीव...हाड़-माँस का बना साँसे लेता पुतला। जब वही जीव अपने अंदर एक नए जीव के आगमन की ...

....और जिंदगी चलती रही

by Ranjana Jaiswal
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तीन दिन हो गए थे चलते-चलते...पाँव में छाले निकल आये थे। शरीर धूल और पसीने से तर-बतर हो चला ...