Rajeev Upadhyay - Stories, Read and Download free PDF

कुछ खट्टा कुछ मीठा - परिचय

by Rajeev Upadhyay
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विशाल पिछले चार साल से वैभवी से रिश्ते में है परन्तु अब तक ना तो उसने ही और ना ...

चोलबे ना - 9 - इज्जतदार लेखक

by Rajeev Upadhyay
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लेखक नामक प्रजाति के सदस्य अक्सर अकादमियों और मंत्रालय के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ये उनकी स्पष्ट राय ...

चोलबे ना - 8 - गाली ही आशीर्वाद है

by Rajeev Upadhyay
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मुझे भाषण देने की आदत जो है कि लोग देखा नहीं कि बस उड़ेलना शुरू कर देता हूँ। बस ...

चोलबे ना - 7 - फ्रैक्चर, प्लॉस्टर और चुनाव

by Rajeev Upadhyay
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अभी मैं उहापोह की स्थिति में पेंडुलम की तरह डोल ही रहा था कि चच्चा हाँफते हुए कहीं चले ...

चोलबे ना - 6 - राम को आईएसआई मार्का

by Rajeev Upadhyay
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इस बार के दशहरा में वो हुआ जो कभी भी नहीं हुआ था। जिसका सपना लोग सत्तर साल से ...

चोलबे ना - 5 - चुनावी चक्कलस का मंत्र

by Rajeev Upadhyay
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सुबह सुबह की बात है (कहने का मन तो था कि कहूँ कि बहुत पहले की बात है मतलब ...

चोलबे ना - 4 - रवीश भाई, कन्हैया और मेरा सपना

by Rajeev Upadhyay
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कल अचानक ही रवीश भाई से मिलना हो गया। कौन? अरे भाई! वही अपने रवीश भाई जी! ...

चोलबे ना - 3 - 370 का रीचार्ज

by Rajeev Upadhyay
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टीवी खोला ही था कि एक धमाका हुआ। एक जबरदस्त धमाका। धमाका देखकर मेरे बालमन का मयूर नाच ही ...

चोलबे ना - 2 - बैटन, लाइब्रेरी, कसाब और देशद्रोही

by Rajeev Upadhyay
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मैं सुबह-सुबह ‘रमता जोगी, बहता पानी’ की तरह बहता ही जा रहा था। एकदम बरसाती नदी की तरह! कि ...

चोलबे ना - 1

by Rajeev Upadhyay
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चच्चा खीस से एकमुस्त लाल-पीला हो भुनभुनाए जा रहे थे मगर बोल कुछ भी नहीं रहे थे। मतलब एकदम ...