Prabodh Kumar Govil - Stories, Read and Download free PDF

मीठे बादल मीठी बरखा

by Prabodh Kumar Govil

"मीठे बादल मीठी बरखा"(हिंदी नाटक - प्रबोध कुमार गोविल)पात्र परिचय :1. मंत्रणा - तिब्बत से आई हुई एक युवा ...

बीते समय की रेखा - 16 (अंतिम भाग)

by Prabodh Kumar Govil
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17. (अंतिम भाग )पाठको, इस लंबी कहानी के बीच हम आपको एक छोटा सा सिनेमा भी दिखाना चाहेंगे। ये ...

बीते समय की रेखा - 15

by Prabodh Kumar Govil
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15. लगातार काम में लगी रेखा के लिए हॉस्टल मेस से खाना भी रात को आठ बजे उसके चैंबर ...

बीते समय की रेखा - 14

by Prabodh Kumar Govil
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14. अजीब सी स्थिति थी। रेखा को समझ में नहीं आता था कि ये कैसे दिन हैं? क्या उसका ...

बीते समय की रेखा - 13

by Prabodh Kumar Govil
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13. दीमक और खाद की कहानी तो आपने सुनी ही होगी। दोनों ही पेड़ों में लगते हैं। किंतु दीमक ...

बीते समय की रेखा - 12

by Prabodh Kumar Govil
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12. कुछ अच्छे और नामचीन शैक्षणिक संस्थानों की आंतरिक संरचना में एक ख़ास बात रहती है जो हमें जाननी ...

बीते समय की रेखा - 11

by Prabodh Kumar Govil
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11.फ़िल्मों को यूं तो मनोरंजन का साधन कहा जाता है और लोग दिल बहलाने के लिए ही फ़िल्म देखने ...

बीते समय की रेखा - 10

by Prabodh Kumar Govil
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10."कहा जाता है कि कोई भी बच्चा अपने जीवन के पहले पांच से दस साल तक जो कुछ देखता, ...

बीते समय की रेखा - 9

by Prabodh Kumar Govil
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9.विश्वविद्यालय का दर्ज़ा मिल जाने के बाद बनस्थली में और भी कई नए - नए विभागों के खुलने का ...

बीते समय की रेखा - 8

by Prabodh Kumar Govil
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8.क्या आपने किसी कहानी को फटते हुए देखा है? दरारें पड़ जाती हैं।हमारी ये कहानी भी फट गई। एक ...