रात जैसे जैसे आगे चलकर वक्त को अपने पहलू से बांधती है वैसे ही और भी काली होती ...
ये नई पीढ़ी, इस युग की बिल्कुल एक नई किस्म की फसल है । ये अपनी खुशी से सरोकार ...
भरी गर्मी के दिन थे सूरज आग लेकर सर पर खड़ा था पसीना बूंदों की जगह पानी की धार ...