आज सुबह से ही पीतो बेटे की प्रतीक्षा कर रही थी, अंशुमन का फोन आ गया था कि वह ...
अचानक हँसने की आवाज से उसकी आँख खुल गई, वह चौंक कर सुनने लगी पुकारा उसने रूपा ...
उधर डोली आशुतोष के दरवाजे पहुँचते ही आशुतोष की माँ और बहनें जल्दी से बहू उतारने आयीं, डोली में ...
जेठ की तपती दुपहरी की गर्म लू शरीर को झुलसा रही थी, सूरज अपने यौवन के चरम पर आग ...
घर में उत्सव जैसा माहौल था सभी के चेहरों पर उत्साह झलक रहा था बड़की ...
शहर के पॉश एरिया में भव्य और सुंदर सा बंगला, नौकर-चाकर, हर सुख-सुविधा और क्या चाहिए था उसे ! ...
अमिता फूट फूट कर रो रही थी अब उसे अपने किये पर पश्चाताप हो रहा था शायद ...
गर्मियों के दिन थे दोनों जेठानियाँ बच्चों के साथ मायके गयीं थीं घर में बस ...
उस दिन भी सुधा रो रही थी कि तभी गेट खटका उसने जा कर दरवाजा खोला तो ...
वह सूनी आँखों से टुकुर-टुकुर पंखे को देख रही थी..आँखें धँस गयीं थीं..शरीर हड्डियों का पिंजर बन गया था..चमड़ी ...