प्रिन्शु लोकेश तिवारी - Stories, Read and Download free PDF

आखिरी प्रेमी की घोषणा

by प्रिन्शु लोकेश तिवारी
  • 2.2k

आखिरी प्रेमी की घोषणा-प्रिन्शु लोकेश थाने के ठीक सामने महुआ का एक वयोवृद्ध वृक्ष था जिसकी तमाम पत्तियां झड़ ...

प्रेम के पनारे

by प्रिन्शु लोकेश तिवारी
  • 7.3k

*______क्रंदन______*~~~~~~~~~~~~~चोटों में दर्द प्रणय का है,पर जख्म अभी भी भारी है।ओठों में आश मिलन की है,पलको मे क्रंदन जारी ...

सहयोग (एकांकी)

by प्रिन्शु लोकेश तिवारी
  • (3.3/5)
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प्यार दुनिया का सबसे अलग और अच्छा एहसास है, जिसमें न खाने की भूख न ही आँखों में नींद।है ...

आज के नये विचार

by प्रिन्शु लोकेश तिवारी
  • 12.8k

वही कृष्ण है वही अंग है ...

उत्तेजना (व्यंग्य)

by प्रिन्शु लोकेश तिवारी
  • 12k

उत्त्तेजन एक बीमारी है। लग गई सो लग गई।जो व्यक्ति उत्तेजना से वाकिफ़ रहते हैं वो उसका प्रयोग समय ...