Kumar Kishan Kirti - Stories, Read and Download free PDF

मजदूर की बेटी

by Kumar Kishan Kirti
  • 5.1k

मैं प्रतिदिन उसे शाम के वक्त पसीने से लथपथ होकर अपने घर की तरफ लौटता देखता।सिर पर मैला-कुचैला पगड़ी ...

अफसर बेटा....।

by Kumar Kishan Kirti
  • 4.7k

"बेटा कुलदीप, कहाँ हो तुम?अरे,कोचिंग नहीं जाना है क्या!कुुुलदीप के पिता उसेे बुलाते हुुुए बरामदे में प्रवेश कर गए।मगर, ...

आशिक़ी....।

by Kumar Kishan Kirti
  • 4.3k

"मैं राजन के बिना जिंदा नहीं रह सकती हूँ,क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूँ।और यह मेरी आखिरी फैसला है।"इतना ...

अधूरा इश्क (लघुकथा)

by Kumar Kishan Kirti
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रिया ऑटो रिक्शा से समाहरणालय के पास पहुँची और ऑटो रिक्शा चालक को रुपये देकर जल्दी से जिलाधिकारी कार्यालय ...

आई एम सॉरी...।

by Kumar Kishan Kirti
  • 9.1k

ऑफिस से छुटकारा पाने के बाद मैं एक होटल में कॉफी पीने के लिए चला गया।दिनभर की कामों से ...

मोहब्बत का सफर

by Kumar Kishan Kirti
  • 5.6k

सीमा और किशन एक दूसरे से काफी मोहब्बत करते थे।किशन चित्रकार था,लेकिन सीमा पेशे से संगीत बच्चों को सिखाया ...

प्यार का पहला खत

by Kumar Kishan Kirti
  • 6.8k

रविवार का दिन होने के कारण मैं घर पर ही था।ऑफिस बन्द था।आज कोई काम करने का मन भी ...

प्रेम का उदय

by Kumar Kishan Kirti
  • 8k

पत्नी उदास बैठी है. मन ही मन कुढ़ रही है और अपने पति पर गुस्सा कर रही है. गलती ...

मेहनत

by Kumar Kishan Kirti
  • 7.9k

सुबह का समय था.मैं अपने कमरे में बैठकर अखबार पढ़ रहा था. तभी नौकर चाय का प्याला लाकर सामने ...

जीवनसाथी

by Kumar Kishan Kirti
  • 8.4k

"मैं शादी करना नहीं चाहता हूँ इस बात को आपलोग समझते क्यो नहीं है?"आनंद गुस्से से अपनी बात रखते ...