Kamal - Stories, Read and Download free PDF

आखर चौरासी - 39 - Last Part

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हरनाम सिंह ने पत्र खोल कर पढ़ना शुरु किया। आदरणीय पापा जी, बी’जी पैरीं पैना ! भला कौन जानता था कि कभी ...

आखर चौरासी - 38

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इम्तिहान भले ही किसी भी स्तर का हो, उसका असर विद्यार्थियों पर किसी भूत सा ही होता है। यह ...

आखर चौरासी - 37

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सतनाम बताए जा रहा था, ‘‘वैसे हालात में आस-पडोस के बाकी लोग तो तमाशबीन बने चुपचाप रहे, लेकिन पड़ोस ...

आखर चौरासी - 36

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विक्की के चले जाने से उस शाम गुरनाम अकेला था। वह अपने घर के गेट पर खड़ा यूँ ही ...

आखर चौरासी - 35

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गुरनाम और विक्की जब भी घर पर होते हैं, उनकी शामें बस स्टैण्ड पर बने यात्री पड़ाव वाली सीमेंट ...

आखर चौरासी - 34

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गुरनाम और विक्की जब भी घर पर होते हैं, उनकी शामें बस स्टैण्ड पर बने यात्री पड़ाव वाली सीमेंट ...

आखर चौरासी - 33

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गुरनाम उस दिन जब क्लास करने कॉलेज पहुँचा, उसे कोई भी पहचान नहीं सका। ठीक वैसे ही जैसे उस ...

आखर चौरासी - 32

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जिस समय विक्की अपना सफर पूरा कर बस से उतरा, दोपहर ढल चुकी थी। वैसे भी ठंढ के मौसम ...

आखर चौरासी - 31

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गुरनाम के तर्क का महादेव को कोई जवाब न सूझा। लेकिन यह भी सच था कि गुरनाम के केश ...

आखर चौरासी - 30

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अगली सुबह लगभग आठ बजे का समय रहा होगा, जब महादेव गुरनाम के कमरे पर पहुँचा। उसे हॉस्टल में ...