Kabir - Stories, Read and Download free PDF

खामोश परछाइयाँ - 6

by Kabir
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रिया ने हवेली की पुरानी अलमारी से एक आईना निकाला। धूल हटाते ही उस पर दरारें उभर आईं, और ...

लोको पायलट की ड्यूटी – एक जर्नल

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दिन–1 (सुबह 6:00 बजे)आज घर से ड्यूटी के लिए निकलते वक्त मन भारी था। पहले ही सूचना मिल गई ...

लोकोपायलट का सफ़र - The Beginning

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लोकोपायलट यानी रेलगाड़ी का चालक। बाहर से देखने पर लगता है कि बस इंजन चलाना ही उसका काम है, ...

अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 8

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अरुण जेल की अँधेरी कोठरी में बैठा था।उसके हाथ में जंग लगे हथकड़ी के निशान थे, और आँखों में ...

खामोश परछाइयाँ - 4-5

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रिया ने डायरी का आख़िरी पन्ना पढ़ने के बाद तय कर लिया कि उसे उस पुरानी हवेली तक जाना ...

खामोश परछाइयाँ - 2-3

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रिया के कमरे की खिड़की अब भी आधी खुली थी। बाहर गहरी रात का सन्नाटा था, पेड़ों की शाखें ...

अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 5-6-7

by Kabir
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चैप्टर 5 – जुर्म की गंधरात का अँधेरा गहराता जा रहा था।बारिश थम चुकी थी, लेकिन शहर की सड़कों ...

खामोश परछाइयाँ - 1

by Kabir
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अध्याय 1 – नई शुरुआतदिल्ली का सेंट मैरी कॉलेज। गर्मियों का पहला दिन।नए सेशन का पहला दिन हमेशा हलचल ...

अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 3-4

by Kabir
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चैप्टर 3 – भाई की परछाईकॉलेज का माहौल अब अरुण और रिया के लिए बदल चुका था।हर दिन मिलने ...

अनकही मोहब्बत - 2

by Kabir
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खामोश तस्वीरकक्षा 11 का समय था।वेदांत एक साधारण-सा लड़का था—ना ज्यादा दोस्त, ना ज्यादा बातें। बस कोने की बेंच ...