Kabir - Stories, Read and Download free PDF

वो लड़की जो कल को याद रखती थी - 1

by Kabir
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समुंदर के किनारे बसा एक छोटा-सा कस्बा था — जहाँ लहरों की आवाज़ घड़ी की टिक-टिक से मिलकर कुछ ...

अनकही मोहब्बत - 5

by Kabir
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कभी-कभी दीवारें सिर्फ़ ईंटों की नहीं होतीं,वो लोग बनाते हैं — मज़हब, जात और डर से।”राघव और आयरा की ...

अनकही मोहब्बत - 4

by Kabir
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"जहाँ लोग भगवान और खुदा के बीच फर्क करते हैं, वहाँ दिल की बात अक्सर गुनाह बन जाती है..."गाँव ...

अनकही मोहब्बत - 3

by Kabir
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कभी-कभी रूहें वक़्त से नहीं, मोहब्बत से बंधी रहती हैं…और जब कोई जाता है, तो आधा दिल ज़िंदा रह ...

खामोश परछाइयाँ - 6

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रिया ने हवेली की पुरानी अलमारी से एक आईना निकाला। धूल हटाते ही उस पर दरारें उभर आईं, और ...

लोको पायलट की ड्यूटी – एक जर्नल

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दिन–1 (सुबह 6:00 बजे)आज घर से ड्यूटी के लिए निकलते वक्त मन भारी था। पहले ही सूचना मिल गई ...

लोकोपायलट का सफ़र - The Beginning

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लोकोपायलट यानी रेलगाड़ी का चालक। बाहर से देखने पर लगता है कि बस इंजन चलाना ही उसका काम है, ...

अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 8

by Kabir
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अरुण जेल की अँधेरी कोठरी में बैठा था।उसके हाथ में जंग लगे हथकड़ी के निशान थे, और आँखों में ...

खामोश परछाइयाँ - 4-5

by Kabir
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रिया ने डायरी का आख़िरी पन्ना पढ़ने के बाद तय कर लिया कि उसे उस पुरानी हवेली तक जाना ...

खामोश परछाइयाँ - 2-3

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रिया के कमरे की खिड़की अब भी आधी खुली थी। बाहर गहरी रात का सन्नाटा था, पेड़ों की शाखें ...