Dr. Suryapal Singh - Stories, Read and Download free PDF

कोइयाँ के फूल - 1

by Dr. Suryapal Singh
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कविताएं/गीत/मुक्तक1कोइयाँ के फूलताल में खिले हैंकोइयाँ के फूलआना तुम साथ-साथ खेलेंगे,साथ-साथ उछलेंगे-कूदेंगे,नीले पानी में आसमान देखेंगे।आना तुम साथ-साथ खेलेंगे।बेर्रा ...

कारवाॅं - 10(3)

by Dr. Suryapal Singh
  • 546

वंशीधर का दिमाग़ घूम फिरकर हठीपुरवा पर ही अँटक जाता है। वही नन्दू, हरवंश, तन्नी, ओर अंजलीधर का चेहरा ...

कारवाॅं - 10(2)

by Dr. Suryapal Singh
  • 528

वंशीधर का दिमाग उलझता जा रहा है। मानवाधिकार आयोग और हठीपुरवा उन्हें परेशान कर रहा है। निरंजन प्रसाद भी ...

कारवाॅं - 10(1)

by Dr. Suryapal Singh
  • 579

अनुच्छेद-दसप्रधान जी करुना और रामकरन के साथ अपने दरवाज़े पर अलाव पर चर्चा कर रहे थे। रात के ग्यारह ...

कारवाॅं - 9

by Dr. Suryapal Singh
  • 714

अनुच्छेद-नौगाँव में प्रधान पद को लेकर तरह तरह की अफवाहें। प्रधान, बीडीसी एवं जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए ...

कारवाॅं - 8

by Dr. Suryapal Singh
  • 561

अनुच्छेद- आठजब से ग्राम पंचायतों को सीधे विभिन्न मदों में धन मिलने लगा है, ग्राम प्रधान के चुनाव में ...

कारवाॅं - 7

by Dr. Suryapal Singh
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अनुच्छेद सातवंशीधर अपनी बैठक में चाय पी रहे थे। चाय की चुस्कियों के बीच वे बड़बड़ा उठते-तन्नी नन्दू..., हरवंश ...

कारवाॅं - 6

by Dr. Suryapal Singh
  • 662

अनुच्छेद छहविपिन और कान्तिभाई लगे रहे कि हठीपुरवा के तेरह लोगों का किसान क्रेडिट कार्ड बन जाय। विपिन का ...

कारवाॅं - 5

by Dr. Suryapal Singh
  • 804

अनुच्छेद पाँचगनपति के प्रकरण की जानकारी अंजलीधर को भी हुई। राम प्रसाद ने खुद आकर सारी बात उन्हें बताई ...

कारवाॅं - 4

by Dr. Suryapal Singh
  • 768

अनुच्छेद चारग्राम पंचायत गुलरिहा के बारह पुरवों में हठीपुरवा ही नहीं गुलरिहा भी एक पुरवा है। प्रधान जी गुलरिहा ...