Jaishree Roy - Stories, Read and Download free PDF

जहां लौट नहीं सकते

by Jaishree Roy
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जहां लौट नहीं सकते पारे की चमकीली बूंदों की तरह सुबह की धूप छत की मुंडेर पर बिखरी है। ...

खाली मकान

by Jaishree Roy
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खाली मकान जयश्री रॉय इतनी सारी चीजें- महंगी घड़ी, परफ्यूम, साड़ियां, सुगर-ब्लड प्रेशर जांचने के यंत्र... कितने सारे महंगे ...

अपने होने का एक दिन

by Jaishree Roy
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अपने होने का एक दिन आँख खुलने के बाद भी देर तक बिस्तर पर पड़ी रही थी। आज उठने ...

अपना पता

by Jaishree Roy
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अपना पता संशोधित रात के निपट सन्नाटे में अपने घर के सामने खड़ा हूं, मगर अंदर जाने से पहले ...

पापा मर चुके हैं

by Jaishree Roy
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आज एकबार फिर अरनव को बिस्तर पर उसकी इच्छाओं के चरम क्षण में अचानक छोडकर मै उठ आयी थी। ...