Dhruvin Mavani - Stories, Read and Download free PDF

बेनामी ख़त - 3

by Kirdar
  • 8.8k

( ये किसी एक के लिए नही है वल्कि हर उस इंसान के लिए है जिसने कभी जिंदगी में ...

बेनामी ख़त - 2

by Kirdar
  • 9.7k

Dear किताब ,एक खत तुम्हारे भी नाम का । इसलिए क्योकि वो लड़का तुम्हे आज तक लिख नही पाया ...

बेनामी ख़त - 1

by Kirdar
  • 12.6k

Dear ख़त ,सोचा पहला ख़त तुम्हे ही लिखना चाहिए । क्योंकि आज कल के digital जमाने में भला तुम्हे ...

रेडियो - 1

by Kirdar
  • 5.7k

रेडियो ! कुछ ऐसे ही नाम से वो मुझे चिढ़ाया करता था और मुझे खुशी है की मैं किसीकी ...

किताब

by Kirdar
  • 5.8k

दुनिया सिर्फ कहती नही जनाब ,वो अक्सर कहती रहती है यहाँ लकड़े कहाँ ;सिर्फ़ लड़कियाँ ही तो सहती रहती ...

लड़की हूँ... गुनहगार हूँ...

by Kirdar
  • 8.8k

क्या एक लड़की होना गुनाह है ? क्यों लोग हमारे लिए फैसले लेते है । क्यों लोगो को ये ...

किरदार - 2

by Kirdar
  • 9.1k

तब मैं नही जानता था और ये कह भी नही सकता था कि ये साल मेरी जिंदगी बदलने वाला ...

किरदार - 1

by Kirdar
  • (4.3/5)
  • 8.7k

मुझे जिंदगी की इतनी खूबसूरत कहानी और मेरी पहली किताब देने के लिए उन सभी का शुक्रिया जो मेरी ...