Copyright © 2025 Dhirendra Singh BishtAll Rights Reserved.This book is the English translation of the original Hindi title:“Man ki ...
वो जो दोस्त थाराजीव की ज़िंदगी में कोई बड़ी बात नहीं थी। वह न कोई बड़ा बिज़नेसमैन था, न ...
हमारे समाज की Conditioningहम पैदा होते हैं एक खुली किताब की तरह — न कोई डर, न कोई सोच, ...
डर क्यों आता है? – हार और असफलता की छायाहम सभी के भीतर एक अनकहा डर छुपा होता है ...
रिश्तों की परछाइयाँकाठगोदाम की सुबहें जितनी शांत थीं, रोहन का घर उतना ही हलचल भरा था। घर में बहन ...
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नए शहर, पुराने सवाललेखक- धीरेंद्र सिंह बिष्टकभी-कभी शहर बदलने से ज़िंदगी नहीं बदलती, सिर्फ़ खिड़की के बाहर का दृश्य ...
नेतृत्व, सफलता और दूसरों के लिए प्रेरणा बनना“कभी-कभी ज़िंदगी तुम्हें वहाँ पहुँचा देती है, जहाँ तुमने सोचा भी नहीं ...
अध्याय 1 मैग्गी प्वाइंट्स की शाम शा म के कोई सात बजने वाले थे। जून का महीना था, लेकिन ...
"कोशिश - अंधेरे से जिंदगी के उजाले" के फर्स्ट पार्ट में हमने पढ़ा रोहन अपनी मेहनत और लगन से ...