उस दिन मां का बुखार तेज़ था। “बुखार जूड़ी ...
“कौन हो सकता है?” दरवाज़े की घंटी सुन कर हम दोनों चौंके। शोध छात्रों के लिए आरक्षित इस परिसर ...
साइकल चला रही प्रमिला और उस की भांजी हमें पांच बजे दिखाई दीं। ...
उस अनुभव के बाद ही मैं ने जाना, आंख की अपेक्षा हमारे कान ज़्यादा तेज़ी दिखाते हैं। आंख से ...
अशोक और मधु के घर में आयोजित वह पार्टी अच्छी चल रही थी। उस का आधार भी प्रत्याशित था ...
समान लंबाई- चौड़ाई रखने के बावजूद भी वे दो परिसर आज भिन्न आभास देते हैं। मगर आज से सत्ताईस ...
अपने कमरे से सटी रसोई का वार्तालाप मैं सुन रहा था। “तुम्हारी रसोई में चुहिया बहुत आती है,नंदू,” घर ...
दीपक शर्मा “एक्सक्यूज़ मी,” क्लास रूम के दरवाज़े पर नीति अपनी सहेली के साथ खड़ी थी, “मुझे आलोक ...
( यह वृतांत मुझे अपनी एक पड़ोसिन की मां की सन 2008 की एक डायरी में लिखा मिला, जो ...
यकीन मानिए,डेढ़ वर्ष से हमारे पड़ोस में रह रही अपनी पड़ोसिन का चेहरा पहली बार मैं फ़ोटो में देख ...