Deepak sharma - Stories, Read and Download free PDF

सहोदरा

by Deepak Sharma
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उस दिन मां का बुखार तेज़ था। “बुखार जूड़ी ...

पहुनाई

by Deepak Sharma
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“कौन हो सकता है?” दरवाज़े की घंटी सुन कर हम दोनों चौंके। शोध छात्रों के लिए आरक्षित इस परिसर ...

सुस्त पांव

by Deepak Sharma
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साइकल चला रही प्रमिला और उस की भांजी हमें पांच बजे दिखाई दीं। ...

ईंधन की कोठरी

by Deepak Sharma
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उस अनुभव के बाद ही मैं ने जाना, आंख की अपेक्षा हमारे कान ज़्यादा तेज़ी दिखाते हैं। आंख से ...

स्त्रियां

by Deepak Sharma
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अशोक और मधु के घर में आयोजित वह पार्टी अच्छी चल रही थी। उस का आधार भी प्रत्याशित था ...

भिन्न-अभिन्न

by Deepak Sharma
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समान लंबाई- चौड़ाई रखने के बावजूद भी वे दो परिसर आज भिन्न आभास देते हैं। मगर आज से सत्ताईस ...

अभागी

by Deepak Sharma
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अपने कमरे से सटी रसोई का वार्तालाप मैं सुन रहा था। “तुम्हारी रसोई में चुहिया बहुत आती है,नंदू,” घर ...

चरख़ी

by Deepak Sharma
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दीपक शर्मा “एक्सक्यूज़ मी,” क्लास रूम के दरवाज़े पर नीति अपनी सहेली के साथ खड़ी थी, “मुझे आलोक ...

बला

by Deepak Sharma
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( यह वृतांत मुझे अपनी एक पड़ोसिन की मां की सन 2008 की एक डायरी में लिखा मिला, जो ...

लुकाव

by Deepak Sharma
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यकीन मानिए,डेढ़ वर्ष से हमारे पड़ोस में रह रही अपनी पड़ोसिन का चेहरा पहली बार मैं फ़ोटो में देख ...