R B Chavda - Stories, Read and Download free PDF

दिल ने जिसे चाहा - 14

by R. B. Chavda
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(अस्पताल – सुबह का समय)(रुशाली डायरी बंद करती है और खिड़की से बाहर देखती है। मन सवालों से भरा ...

दिल ने जिसे चाहा - 13

by R. B. Chavda
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[अस्पताल की लंबी गलियारे में मयूर सर और रुशाली साथ-साथ कैबिन की ओर बढ़ रहे हैं…]रुशाली के दिल में ...

दिल ने जिसे चाहा - 12

by R. B. Chavda
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कैंटीन की उस टेबल पर बैठकर, जब दो लोग खाने की थाली बांटते हैं…तो सिर्फ खाना नहीं, कुछ अनकही ...

दिल ने जिसे चाहा - 11

by R. B. Chavda
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कुछ दिन बीते…रुशाली और मयूर सर के बीच अब एक अजीब सी मगर प्यारी सी दोस्ती पनपने लगी थी।वो ...

दिल ने जिसे चाहा - 10

by R. B. Chavda
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सुबह के साढ़े नौ बजे होंगे। अस्पताल का माहौल रोज़ की तरह तेज़ और व्यस्त था, लेकिन डॉक्टर मयूर ...

दिल ने जिसे चाहा - 9

by R. B. Chavda
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कुछ दिन बाद.....सुबह की नर्म किरणों ने जैसे ही खिड़की से झाँककर कमरे को छुआ, एक हल्की सी गर्माहट ...

दिल ने जिसे चाहा - 8

by R. B. Chavda
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रुशाली आज कुछ ज़्यादा ही नर्वस थी। सफ़ेद कोट उसके कंधों पर था, पर आत्मविश्वास कहीं कंधों से फिसलता ...

दिल ने जिसे चाहा - 7

by R. B. Chavda
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अब रुशाली की ज़िंदगी एक तय रूटीन में ढल चुकी थी — हर सुबह उठकर अस्पताल जाना, मरीज़ों की ...

दिल ने जिसे चाहा - 6

by R. B. Chavda
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रुशाली अब अस्पताल से घर लौट आई थी। जिस तरह से ज़िन्दगी ने उसे झकझोरा था, उसके बाद अब ...

दिल ने जिसे चाहा - 5

by R. B. Chavda
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रुशाली का वह दिन भी पिछली रात की ही तरह बीता – मन में वही डॉक्टर लड़का छाया रहा ...