Chapter 1 : परतफेड चेतन सहा वर्षांनंतर गावात परतला होता. शहरी आयुष्य, कॉलेज, नोकरी... या सगळ्यांमध्ये अडकून गेलेल्या चेतनसाठी ...
Chapter 10: एक नई शुरुआत, एक पुरानी साज़िश मुंबई की सुबह कुछ अलग थी — बादलों से ढकी, ...
Chapter 9 : जब अतीत लौट आया मुंबई की सड़कों पर हल्की ठंड थी, लेकिन आरव के दिल में ...
Chapter 8: जब बातों में छुपा प्यार सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था, और काव्या की बालकनी से दिखती ...
अध्याय 16: अंतिम टकराव - एक नई सुबह सुरक्षित घर पहले से कहीं ज्यादा शांत था। तनाव की ...
अध्याय 15: खतरे में उतरना मूंछें छिपे हुए कमरे में खड़ी थीं, प्रतिरोध सेनानियों के रहस्यमय नेटवर्क से ...
प्रकरण १६ : ब्लॅक डायमंडचा शेवट गणपत चौधरीच्या डायरीने मोठा स्फोट घडवला होता . " के .आर . ...
Chapter 7 : जब आंखें बोलने लगीं मुंबई का वही पुराना कैफ़े — हल्की-हल्की बारिश , खिड़की से ...
अध्याय 14: विद्रोही नेटवर्क डिनर में हवा प्रत्याशा के साथ मोटी महसूस हुई, हर गुजरते पल व्हिस्कर्स के ...
प्रकरण १५ : साक्षीदारांची यादी अभय देशपांडेचा खून होताच, चेतनच्या मनात एकच गोष्ट ठाम झाली — ब्लॅक डायमंड ...