Bhagwati Prasad Dwivedi - Stories, Read and Download free PDF

मानसिकता

by Bhagwati Prasad Dwivedi
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बख्शीश

by Bhagwati Prasad Dwivedi
  • (4.2/5)
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बख्शीश जाड़े की साँय—साँय करती रात । श्मशान—सी सुनसान सड़कें । पूरे शहर में जैसे कफ्रर्यू लगा हुआ हो ...

कथाकार

by Bhagwati Prasad Dwivedi
  • (3.5/5)
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कथाकार माघ का सर्द महीना । ठंड और ओस में निर्वसन नहाती भोर की बेला । बपर्फीली हवाओं के ...

पगला

by Bhagwati Prasad Dwivedi
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पगला ‘‘....वही आपका साथी पगला !'' गिरिजा खबर सुनाते हुए चाय का प्याला थमाकर हाथ मटकाती चली गयी । ...

टेंटुआ

by Bhagwati Prasad Dwivedi
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टेंटुआ रमनथवा हजाम का घिघियाना बाबू दीनानाथ सिंह ने हवा में उछालकर बैरंग लौटा दिया, ‘‘नहीं, तू अगर अपना ...

बहुरुपिए

by Bhagwati Prasad Dwivedi
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बहुरूपिये दोनों कुलियों ने माथे पर लदे माल—असबाब उतारे और गमछे से अपने—अपने चेहरे का पसीना पोंछने लगे, ‘‘बड़ा ...

ढिबरी

by Bhagwati Prasad Dwivedi
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ढिबरी खटिया पर पड़े—पड़े माँ को झपकी आ गयी थी । उनकी सूनी—सपाट आँखों के कपाट अचानक बन्द हो ...

लौटते हुए

by Bhagwati Prasad Dwivedi
  • (3.8/5)
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लौटते हुए ‘बंगला' खचाखच भरा हुआ था । सभी लोग आ—आकर बैठते जा रहे थे । कहते हैं, बहुत ...

दुरिया

by Bhagwati Prasad Dwivedi
  • (4.1/5)
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दूरियाँ उससे मिलने के लिए मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी । आज ज्यों ही उस पर नजर पड़ी ...

Pratishodh

by Bhagwati Prasad Dwivedi
  • (3.8/5)
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प्रतिशोध ‘आइसक्रीम..... मलाईबरपफ.... ले लो बाबू.... दूध् वाली.... मलाई वाली.... आइसक्रीम..... !' पूरे गाँव में पेफरी लगाता हुआ बहिरा ...